यह चुनाव किसानो के लिए बड़ी मुसीबत लेकर के आया है दरअसल कांग्रेस और भाजपा के धान-खरीदी की कीमत बढ़ाना और अधिक मात्रा में धान खरीदना की घोषणा ने किसानों को धान को रोके रखने के लिए विवश कर दिया है l हालांकि कुछ किसान मंडी में जाकर अपना धान बेच जरूर रहे हैं क्योंकि दिवाली के लिए जो उन्होंने कर्ज लिया था उसे पटना भी जरूरी है। किंतु किसान अभी सरकार गठन के बाद 31 और 32 सौ रुपए के साथ ही 20 क्विंटल और 21 क्विंटल बेचने का भी इंतजार कर रहे हैं।
यही वजह है की मात्र 19 दिनों में 600 क्विंटल धान के आवक कम हुई है और 45 से अधिक कृषकों ने पिछले साल की अपेक्षा इस साल धान रोक रखा है।चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियों ने जो 3100 और 3200 तथा 20 क्विंटल और 21 क्विंटल धान-खरीदी जो अपनी घोषणा पत्र में जारी किया है जिसके लेकर किसान कशमकश की स्थिति में है।
किसानों का मानना है कि पता नहीं सरकार यह नियम एक नवंबर से लागू करेगा या फिर सरकार बनने के दिन से लागू करेगी इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जिसे देखते हुए गरियाबंद में 1 से 19 नवम्बर 202-23 मे 3000 क्विंटल धान खरीदने का रिकॉर्ड है।वहीं 2023-24 मे 1 से 18 नवम्बर 2300 क्विंटल धान-खरीदी किया गया है वहीं जहां पिछले साल में 90 किसानों ने अपना धान भेचा था।
वहीं इस वर्ष 19 दिनों में मंत्र 45 किसानों ने ही अपना धान बेचा है या एक तरह से किसानों के द्वारा धान को रोककर सरकार के शपथ ग्रहण के बाद उनके घोषणाओं के अनुरूप धान की कीमत बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। इन सबके बीच किसान काफी परेशान है उन्हें सरकार गठन के लिए 5 से 7 तारीख तक का इंतजार करना पड़ रहा है और यह इंतजार उन्हें भारी पड़ रहा है।