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दीदी चिल्हर नही है बाद में समान लेने आता,रुको भईया क्युआर कोड है ना

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डिजिटल इंडिया का सपना साकार कर जागरूक बन रहे ग्रामीण क्षेत्रों की बहने।

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बचेली : – आज डिजिटल लेन देन का चलन लगभग देश के प्रत्येक क्षेत्र में फैल चुका है। बड़े बड़े महानगरों से होकर छोटे गांव तक कही भी डिजिटल लेन देन के लिए लोग अलग अलग कंपनियों का क्यूआ कोड इस्तेमाल करते है।

ये तस्वीर बचेली के साप्ताहिक हाट बाजार की है जहां ग्रामीण इलाके दुगेली की ग्रामीण बहन अपनी बाड़ी के केले बेचने आती है। एक दर्जन केले वो 50 रुपए में बेचती है अब चिल्हर की किल्लत इतनी की कई बार ग्राहक समान लिए बिना आगे बढ़ जाता है। ऐसा हुआ भी जब उस बहन ने दाम बताए मैने 500 रुपए का नोट निकाला बहन ने कहा चिल्हर नही है हम जैसे आगे बढ़े पीछे से धीमे स्वर में आवाज आई भईया क्युआर कोड है मेरे पास।

सुनकर मैं पलटा देखा उसने अपने झोले से क्युआर कोड निकाला और मेरे आगे कर दिया। यकीन मानिए कुछ क्षण के लिए मैं थम सा गया मुझे इतनी खुशी हुई जिसे शायद शब्दो में बता पाना संभव नहीं था तो मैंने उस बहन की इजाजत लेकर उसकी एक फोटो निकाली।

खुशी यह की हमारी ग्रामीण क्षेत्रों की बहने भी अब किसी से कम नही है वो भले ज्यादा पढ़ी लिखी ना भी हो तो संसाधनों को लेकर जागरूकता के मामले में पुरुषो की बराबरी कर रही है खासकर मुझे लगता है हमारे दुगेली के युवा भाई बहन जागरूकता के मामले में अन्य ग्रामीण क्षेत्रों से आगे है चाहे वो आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करके खेती करने की बात हो या फिर अन्य वस्तुओं का निर्माण करके अपनी जीविका चलाने का कार्य हो वो हमेशा आगे रहते है। आधुनिक युग में आ रहे तेजी से बदलाव को ग्रामीणों द्वारा अपनाया जाना यकीनन उन्नति का प्रतीक है।

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