नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के एक मंदिर में नाबालिग से बलात्कार के आरोप में एक व्यक्ति की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उसे बिना छूट के 30 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई
न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा, ”हमने याचिकाकर्ता-दोषी द्वारा मंदिर ले जाने के बाद पीड़िता की असहाय स्थिति पर ध्यान दिया है। सबूतों से पता चलता है कि जगह की पवित्रता की परवाह किए बिना उसने उसे और खुद को निर्वस्त्र किया और उसके साथ बलात्कार किया। पीठ ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 एबी के तहत दोषसिद्धि को बरकरार रखा।
पीठ ने कहा कि घटना के समय दोषी की उम्र 40 साल थी। 30 साल की सजा की एक निश्चित अवधि कारावास की संशोधित सजा होनी चाहिए। इसमें पीड़िता को उसके चिकित्सा खर्च और पुनर्वास के लिए दिए जाने वाले जुर्माने की राशि 1 लाख रुपये भी निर्धारित की गई है। एफआईआर के मुताबिक, 7 साल की बच्ची आम लेने जा रही थी और रास्ते में आरोपी उससे मिला। आरोप उसे नमकीन देने के बहाने मंदिर में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया