Shimla: 19 महीने पुराना केस-19 जगह छापे…हिमाचल में फर्जी आयुष्मान कार्ड का मामला गरमाया
Shimla. शिमला। आयुष्मान भारत कार्ड योजना में फर्जीबाड़े को लेकर प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने बुधवार को हिमाचल, चंडीगढ़, दिल्ली और पंजाब में कुल 19 जगहों पर छापेमारी की। हिमाचल के कांगड़ा, ऊना, मंडी, कुल्लू और शिमला जिलों में करीब दर्जन भर निजी अस्पतालों और उनसे जुड़े संस्थानों में यह रेड हुई। कांग्रेस विधायक रघुवीर सिंह बाली और कोषाध्यक्ष डा. राजेश शर्मा के अस्पतालों पर भी कार्रवाई से राजनीतिक हडक़ंप मच गया है। ईडी को इस मामले में पहले फर्जी आयुष्मान कार्ड के नाम पर करोड़ों का फ्रॉड करने के प्रमाण मिले थे।
अब व्यापक स्तर पर छापेमारी कर साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। हिमाचल के पांच जिलों में 40 वाहनों में आए ईडी के करीब 150 अधिकारियों की टीमें अलग-अलग जगहों पर करोड़ों के फ्रॉड मामले से जुड़े दस्तावेज खंगाल रही है। ईडी की टीम आयुष्मान भारत योजना में अनियमितताओं को लेकर नगरोटा बगवां से कांग्रेस विधायक आरएस बाली के घर और उनके निजी फोर्टिस अस्पताल की जांच कर रही है। इसके अलावा ईडी देहरा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे प्रदेश कांग्रेस कोषाध्यक्ष डा. राजेश शर्मा के घर और उनके बालाजी अस्पताल में दस्तावेज खंगाल रही है। आरएस बाली और राजेश शर्मा के घर व अस्पताल के बाहर सीआरपीएफ के जवान तैनात थे और अंदर ईडी की टीम दस्तावेज खंगालने में लगी रही। कांगड़ा में ही ईडी की टीम ने द नर्सिंग होम
यहां पर भी बुधवार सुबह से ईडी की रेड जारी रही। वहीं सिटी हॉस्पिटल कांगड़ा के एमडी डा. प्रदीप मक्कड़ के घर पर भी ईडी की रेड हुई। ऊना जिला में भी ईडी की टीम ने एक प्राइवेट अस्पताल पर रेड की है। टीम के अधिकारी दो गाडिय़ों में पहुंचे और अस्पताल के भीतर जांच की। इसके अतिरिक्त ईडी की टीम मैहतपुर के बसदेहड़ा में भी पहुंची। यह ठिकाना भी इसी अस्पताल से जुड़ा है। इसी तरह कुल्लू जिला के ढालपुर श्रीहरिहर अस्पताल सहित दो संस्थानों में भी ईडी की टीम पहुंची। इन्हीं संस्थाओं से जुड़ी रेड शिमला और मंडी के दो अस्पतालों में भी हुई है। प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक यह फ्रॉड करीब 25 करोड़ से अधिक का है।
अब तक की जांच में आयुष्मान योजना के उल्लंघन के लिए प्रदेश में 8,937 गोल्डन कार्ड रद्द किए गए हैं। जांच में 373 फर्जी आयुष्मान कार्डों की पहचान की गई है और कुछ आयुष्मान भारत लाभार्थियों को दिए गए उपचार के नाम पर सरकार से प्रतिपूर्ति के लिए 40,68,150 रुपए का दावा किया गया था। ईडी ने दावा किया कि उन्होंने इनमें से किसी भी अस्पताल में ऐसा कोई इलाज नहीं कराया। आरोपी अस्पतालों ने उपचार, सर्जरी, भर्ती के लिए दावे किए जो वास्तव में मरीजों को कभी नहीं दिए गए।
बुधवार को हिमाचल में हुई ईडी की कार्रवाई हिमाचल पुलिस की विजिलेंस के एक केस से निकली है। विजिलेंस ब्यूरो ने इसी मामले में जनवरी 2023 में फ्रॉड की एक एफआईआर दर्ज की थी, जो ऊना के एक निजी अस्पताल को लेकर थी। इसी एफआईआर में सामने आए तथ्यों के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने 16 जुलाई को मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया। अब उसी कड़ी में ये छापे पड़े हैं