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अब पूर्व MLA मोहितराम केरकेट्टा ने दिखाई कांग्रेस को आँख.. प्रदेश अध्यक्ष बैज से मांगा इस्तीफा, खुद सुनें

मोहितराम केरकेट्टा ने कहा दीपक बैज के स्वयं चुनाव लड़ने से संगठन कमजोर हो गया और कार्यकर्ता बिखर गया।

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कांग्रेस (MLA) ने इस बार पाली-तानाखार से महिला उम्मीदवार पर दांव खेला था। उन्होंने यहाँ से दुलेश्वरी सिदार को उतारा थे लेकिन पार्टी का यह फैसला भी गलत साबित हुआ और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के तुलेश्वर मरकाम ने यहाँ से सिदार को नजदीकी मात दी।

पूर्व एमएलए (MLA) केरकेट्टा ने सीएम या डिप्टी सीएम पर तो नहीं बल्कि पीसीसी प्रमुख दीपक बैज पर सवाल उठायें है। बकौल मोहित राम केरकेट्टा दीपक बैज को चुनाव लड़ने की जरूरत नहीं थी। लेकिन उन्होनें खुद चुनाव लड़ा और कार्यकर्ता पीछे रह गए। यही वजह है कि प्रदेश से कांग्रेस की सरकार जाती रही।

मोहितराम केरकेट्टा ने कहा दीपक बैज के स्वयं चुनाव लड़ने से संगठन कमजोर हो गया और कार्यकर्ता बिखर गया। डैमेज कंट्रोल को सम्भाला नहीं जा सका। खुद मुखिया के चुनाव लड़ने से सभी अपने-अपने जीत में लगे रहे। पुराने कार्यकर्ताओं से किसी ने बात नहीं की। ऐसे में उन्हें स्वेच्छा से इस्तीफा दे देना चाहिए। इससे संगठन को मजबूत बनाने में लाभदायी रहेगा।

गौरतलब है कि इस बार कांग्रेस ने जिन 22 विधायकों की टिकट काट दी थी उनमें पाली-तानाखार के तत्कालीन विधायक मोहितराम केरकेट्टा का नाम भी शामिल था। अपनी टिकट कटने के बाद भी उन्होंने नाराजगी जाहिर की थी। केरकेट्टा ने खुद के टिकट कटने के पीछे सीधे तौर पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और सक्ति विधायक डॉ चरणदास महंत का नाम लिया था। साथ ही स्थानीय संगठन पर भी साजिश के आरोप लगाए थे।

कांग्रेस ने इस बार पाली-तानाखार से महिला उम्मीदवार पर दांव खेला था। उन्होंने यहाँ से दुलेश्वरी सिदार को उतारा थे लेकिन पार्टी का यह फैसला भी गलत साबित हुआ और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के तुलेश्वर मरकाम ने यहाँ से सिदार को नजदीकी मात दी। गोंगपा को पाली-तानाखार में 60 हजार 862 वोट मिले जबकि दुसरे नंबर पर रही कांग्रेस की दुलेश्वरी सिदार को 60 हजार 148 वोट। यह प्रदेश की इकलौती सीट है जहां तीसरी पार्टी ने चुनाव जीता है।

बता दें कि छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी इतिहास में पहली बार 22 सिटिंग विधायकों की टिकट कटी, लेकिन पहली ही बार में यह प्रयोग कांग्रेस को भारी पड़ा। 22 में से 15 सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। यही वजह है कि अब जिन 22 तत्कालीन विधायकों की टिकट कटी थी, वे इस फैसले के खिलाफ रायपुर से दिल्ली तक आवाज बुलंद कर रहे हैं।

बागियों के निशाने पर प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा, पूर्व सीएम भूपेश बघेल से लेकर सहप्रभारी चंदन यादव, टीएस सिंहदेव, पीसीसी चीफ दीपक बैज तक कई नेता हैं। इन नेताओं के खिलाफ बगावत को थामने कांग्रेस ने दो पूर्व विधायकों को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित भी किया, लेकिन कांग्रेस को यह दांव भी उल्टा पड़ा। निष्कासन के विरोध में कई विधायक लामबंद हो गए। डॉ. विनय जायसवाल और बृहस्पत सिंह के साथ दर्जनभर विधायकों ने दिल्ली में झंडा बुलंद कर दिया है।

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