Kisan Sabha : मनरेगा मजदूरों का पात्र और गैर पात्रों में विभाजन अवैध और मनरेगा कानून पर हमला
रायपुर: (Kisan Sabha) अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने मनरेगा मजदूरी के लिए नए नियमों को लागू किए जाने का विरोध किया है और इन नियमों को मनरेगा कानून का उल्लंघन बताया है। नए नियमों के अनुसार, आधार कार्ड के आधार पर मनरेगा मजदूरों को रोजगार पाने के लिए पात्र और गैर-पात्र मजदूरों में विभाजित किया गया है, पिछले तीन वर्षों में कम-से-कम एक दिन काम करने वालों को ही पात्र माना गया है तथा मजदूरों की ऑन लाइन उपस्थिति दर्ज करने और केवल ऑन लाइन मजदूरी भुगतान करने का आदेश दिया गया है। किसान सभा ने इन नियमों को वापस न लिए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
Kisan Sabha किसान सभा ने कहा है कि मनरेगा कानून ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पाने के इच्छुक हर जॉब कार्डधारी परिवार को बिना किसी भेदभाव के न्यूनतम 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराने की गारंटी देता है और ये नियम इस गारंटी का उल्लंघन करते हैं। किसान सभा का आरोप है कि भाजपा शुरू से ही मनरेगा के खिलाफ रही है और ये नियम इस बात का सबूत है कि वह मनरेगा कानून को खत्म करने पर तुली हुई है।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते, सह संयोजक ऋषि गुप्ता और वकील भारती ने कहा है कि इन नियमों के कारण जहां राष्ट्रीय स्तर पर 12 करोड़ लोग मनरेगा में रोजगार पाने से वंचित हो जाएंगे, वहीं छत्तीसगढ़ में रोजगार गारंटी कार्ड होने के बावजूद लगभग 17 लाख परिवार रोजगार पाने के पात्र नहीं होंगे।
किसान सभा नेता ने कहा है कि ग्रामीण भारत के बड़े हिस्से में कनेक्टिविटी खराब है, जिसके कारण ऑन लाइन उपस्थिति दर्ज करना और भुगतान पाना मुश्किल है। जिन लोगों ने पहले मनरेगा में काम किया है, उनकी ऑन लाइन उपस्थिति दर्ज न हो पाने के कारण वे आज भी मजदूरी भुगतान पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मनरेगा में काम करने के बावजूद ऐसे मजदूर अब रोजगार पाने से वंचित हो जाएंगे। ऐसे कार्डधारी, जिन्होंने पहले मनरेगा में काम नहीं किया है, लेकिन अब रोजगार चाहते हैं, नए नियमों के तहत अब वे भी अपात्र होंगे।
उन्होंने कहा कि देशव्यापी कृषि संकट और ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च बेरोजगारी के समय मनरेगा ग्रामीण गरीबों के लिए जीवन रेखा साबित हुई है। ऐसे समय में भाजपा सरकार प्रौद्योगिकी के उपयोग के नाम पर मनरेगा कानून की जड़ों पर ही प्रहार कर रही है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। किसान सभा ने इन नियमों को वापस न लेने पर आंदोलन संगठित करने की चेतावनी दी है।