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EVM पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने फिर अलापा राग, चुनाव आयोग पर भी उठाई उंगली

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भोपाल : प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी पराजय के बाद एक बार फिर EVM के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वह लगातार ईवीएम पर सवाल उठाते हुए चुनावों के निष्पक्ष होने पर संदेह जता रहे हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने बुधवार को भोपाल में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की, जिसमें उन्होंने EVM के बहाने निर्वाचन आयोग को भी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की।

भारतीय चुनाव प्रक्रिया में ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। राज्यसभा सांसद श्री दिग्विजय सिंह ने तकनीकी विशेषज्ञों के साथ आज भोपाल में डमी ईवीएम मशीन में छेड़छाड़ का प्रदर्शन एक पत्रकार वार्ता के जरिए प्रस्तुत कियादिग्विजय सिंह ने कहा कि हमें इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वीवीपैट पर भरोसा नहीं है। मेरे हाथ में जब तक पर्ची नहीं आएगी, मुझे विश्वास नहीं होगा कि मैंने जिसे वोट दिया है उसे ही मिला है। साफ्टवेयर के माध्यम से गड़बड़ी की जा सकती है। निर्वाचन आयोग भी इस संबंध में कोई जवाब नहीं दे रहा है।

दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग निष्पक्ष नहीं है। दबाव में काम कर रहा है। 31 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई है।मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि इसमें भी गड़बड़ी हुई है। सॉफ्टवेयर में प्रोग्रामिंग ऐसे की जाती है, जिससे वीवीपैट में भले ही पर्ची कुछ और बताएं, लेकिन कंट्रोल यूनिट में वोट जिसके लिए किया गया है, उसे ही मिलता है और मतों की गणना भी उसके माध्यम से ही होती है।

यही कारण है कि हमारी मांग है कि वोटर पर्ची हमें मिले और हम उसे मतपेटी में डालें और उनकी गणना की जाए। इससे सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने निर्वाचन आयोग से इस मुद्दे पर बात करने के लिए समय मांगा है, लेकिन छह माह से समय नहीं दिया जा रहा है। इससे समझा जा सकता है कि स्थिति क्या है। लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए चुनाव की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि ईवीएम में हैकिंग नहीं हो सकती, लेकिन प्रोग्रामिंग के माध्यम से इसमें पहले से निर्धारित किया जा सकता है कि वोट किसे जाएगा। प्रेजेंटेशन के माध्यम से यह बताया गया कि जो वोट डाले गए, वे दिखाई तो किसी को दिए, लेकिन जब गणना हुई तो वह किसी और को मिले।

गुजरात से आए अतुल पटेल ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि साफ्टवेयर के माध्यम से हेराफेरी की जा सकती है। हम यह नहीं कहते कि ऐसा होता है लेकिन यह हो सकता है। उन्होंने बताया कि जब उम्मीदवार निर्धारित हो जाते हैं, उसके बाद ईवीएम में प्रोग्रामिंग की जाती है। इसके लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी ली जाती है। तभी प्रोग्रामिंग होती है। यह कार्य कोई बाहरी व्यक्ति नहीं, बल्कि उस प्रक्रिया में शामिल लोग ही कर सकते हैं। गुजरात के चुनाव के समय भी इस विषय को लेकर हमने जागरूकता का काम किया था।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय के आवास पर वोटिंग का प्रजेंटेशन करके बताया गया। पत्रकार वार्ता में उपस्थित लोगों से मतदान कराया गया और वीवीपैट में जिसे वोट दिया गया, वही दिखा। लेकिन जब पर्ची को निकाला गया तो वो अलग निकलीं। अतुल पटेल ने कहा कि हम यह दावा नहीं करते हैं कि इसी साफ्टवेयर का उपयोग निर्वाचन आयोग करता है, पर इससे समझा जा सकता है कि इस व्यवस्था में गड़बड़ी की जा सकती है।

नरेंद्र सलूजा ने किया पलटवार

दिग्विजय की इस पीसी के बाद भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने इंटरनेट मीडिया के जरिए पलटवार किया। उन्होंने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल से पोस्ट करते हुए लिखा कि जब से लक्ष्मण सिंह बुरी तरीक़े से चुनाव हारे है और जयवर्धन सिंह चुनाव जीते हैं, तब से लक्ष्मण सिंह का मूड खराब चल रहा है और वो लगातार राहुल गांधी , दिग्विजय सिंह और कांग्रेस को निशाना बना रहे हैं। शायद इसी नाराजगी को दूर करने के लिये दिग्विजय सिंह जी ने आज ईवीएम पर निशाना साधा है।

बस वो इस बात का जवाब दे दें कि जब ईवीएम में गड़बड़ी है तो जयवर्धन सिंह का, छिंदवाड़ा, कर्नाटक , हिमाचल प्रदेश , तेलंगाना का चुनाव कांग्रेस कैसे जीती….? एमपी में कांग्रेस के 66 विधायक चुनाव कैसे जीते….? ईवीएम पर आरोप लगाकर दिग्विजय सिंह कर्नाटक, हिमाचल, तेलंगाना, प्रदेश के 66 कांग्रेस विधायकों की जीत पर खुद प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं। विजयी कांग्रेसी विधायकों का मजाक उड़ा रहे हैं। दिग्विजय सिंह यह भी बताएं कि उनके साथ इस मुद्दे पर कांग्रेस क्यों खड़ी नहीं है….?

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