रायपुर : Additional Director समाज कल्याण विभाग के कारनामें निरंतर सुर्खियों में रहे है। समाज कल्याण विभाग के अपर संचालक(Additional Director) पंकज वर्मा की डिग्री प्रारंभ से ही विवादित रही है। फर्जी एवं कुटरचित शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के आधार पर वर्मा ने समाज कल्याण विभाग में फिजियोथेरेपिस्ट के पद पर नियुक्ति प्राप्त की। जिन प्रमाण पत्रों के आधार पर नियुक्ति पाई उसकी शिक्षा कभी ली ही नही ! इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल टेक्नोलॉजी उत्तरप्रदेश से तथाकथित प्राप्त शैक्षणिक प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्त पंकज ने
छत्तीसगढ़ शासन में ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट के पद पर वर्ष 1998 में फर्जीवाड़ा कर शासकीय सेवा प्राप्त की जिसकी शिकायतें पंकज की पदस्थापना के पश्चात् से निरंतर होती रही है। किंतु बड़े अधिकारियों एवं राजनेताओं के संरक्षण के चलतें सभी शिकायतें दरकिनार होती रही और पंकज निरंतर इनका वरदहस्त पाकर मलाई काटता रहा। नियुक्ति के पश्चात् इन्ही अधिकारियों व राजनेताओं का दोहन व उन्हें भ्रमित करते हुए निरंतर नियमविरूध्द पदोन्नति पाता रहा जबकि इससे कई वरिष्ठ अधिकारी आज भी इस ‘‘420 पंकज‘‘ के अधीनस्थ कार्य करने को मजबुर है।
पंकज वर्मा की नियुक्ति के संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस संस्थान से उसने शिक्षा पूरी करना बताकर सेवा प्राप्त की, उक्त संस्थान ने ही सूचना का अधिकार में स्पष्ट किया कि, छात्र पंकज कुमार वर्मा पुत्र हरिमोहन वर्मा ने सत्र 1984-85 में प्रथम वर्ष फिजियोथेरेपी (3 1/2) वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश लेते हुए द्वितीय वर्ष की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् पाठ्यक्रम छोड़ दिया है। साथ ही संस्थान ने यह भी स्पष्ट किया कि, छात्र पंकज का पाठ्यक्रम अद्यतन अपूर्ण है। इससे स्पष्ट है कि, पंकज ने जिन दस्तावेंजों के आधार पर शासकीय सेवा प्राप्त की उससे संबंधित शिक्षा कभी पूर्ण ही नहीं की
फिर भी उसके शासकीय अभिलेखों में उक्त डिग्री का होना एवं उसके आधार पर ही सेवा प्राप्त करना उल्लेख है। उपरोक्त तथ्यों से निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि, पंकज वर्मा द्वारा अपनी भर्ती के दौरान फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेज पेश किए गए है। एवं उन्ही फर्जीं व कुटरचित दस्तावेजों के आधार पर विगत 25 वर्षों से निरंतर छत्तीसगढ़ शासन से धोखाधड़ी करता रहा।
वर्तमान में नियमविरूध्द पदोन्नतियां पाते हुए उत्तरप्रदेश का मूल निवासी यह शातिर अब छत्तीसगढ़ शासन समाज कल्याण विभाग में अपर संचालक पद पर पदस्थ होते हुए छत्तीसगढवासि़यों का हक मार रहा है और छत्तीसगढ़ के नाम पर छत्तीसगढ़ियावाद की दुहाई देने वाले राजनेता यह सब जानते हुए भी धृतराष्ट्र की तरह आंखों में पट्टी लगाए बैठे रहें। जबकि पूर्व में भी छत्तीसगढ़ के दैनिक समाचार पत्रों में पंकज की चार सौ बीसी के कारनामें सुर्खियों में रहे है।
समाज कल्याण विभाग के अपर संचालक जैसे बड़े पद पर बैठे इस अधिकारी के विरूध्द लंबे समय से शिकायते पुलिस के बड़े अधिकारियों के समक्ष की गई। किंतु अपने पद का रसूख दिखाते हुए इसने पुलिस अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होने से साफ इंकार कर दिया , जब पुलिस के एक अधिकारी ने संबंधित मामलें में कथन दर्ज करवानें बुलाया तो उक्त पुलिस अधिकारी को अपने पद का धौंस दिखाते हुए उपस्थित होने और अपना कथन देने से साफ इंकार कर दिया।
अदालत ने थाना को एफ आई आर दर्ज करने का दिया आदेश –
समाज कल्याण के अधिकारी के विरूध्द एक आवेदक द्वारा न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया था। जो संबंधित थाना पुरानी बस्ती के समक्ष प्रस्तुत आवेदक की शिकायत पर पंकज के विरूध्द मामला दर्ज नहीं किए जाने से पेश किया गया था। जिस पर कोर्ट ने त्वरित संज्ञान लेते हुए संबंधित थाना पुरानी बस्ती को ज्ञापन जारी कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश किया प्रतिवेदन पश्चात् कोर्ट ने अनावेदक पंकज वर्मा की तथाकथित डिप्लोमा पाठ्यक्रम फिजियोथेरेपी के अंतिम वर्ष की अंकसूची प्रथम दृष्टया कूटरचित होना पाते हुए संबंधित थाना को धारा 420 ,468 ,471 भा.द .सं. के तहत अपराध पंजीबध्द कर विवेचना हेतु निर्देशित किया है।