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बीजेपी के तीन ‘Brahmastras’, INDI अलायंस के खड़े होने से पहले खड़ी हुई चुनौती!

2024 के लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी का मनोबल आसमान छू रहा है। हिंदी हार्टलैंड में अप्रत्याशित जीत ने पार्टी के हौसले को बुलंद कर दिया है।

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(Brahmastras) राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस सरकार की पांच साल की एंटी-इंकंबेंसी का फायदा मिला है। लेकिन, मध्य प्रदेश में पार्टी ने करीब दो दशकों की एंटी-इंकंबेंसी को हराकर जीत दर्ज की है। अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन के लिए तैयार है यह ऐसे समय में हुआ है जब पार्टी की स्थापना के समय से चले आ रहे सबसे प्रमुख वादों में से एक अयोध्या में राम लला के भव्य राम मंदिर उद्घाटन के लिए तैयार है। भाजपा के पास इससे बड़ा ध्रुवीकरण का मुद्दा नहीं है।

आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भी बढ़ा हौसला ऐसे समय में सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 को रद्दी की टोकरी में डालने पर मुहर लगाकर बीजेपी को तीसरा चुनावी (Brahmastras) ‘ब्रह्मास्त्र’ थमा दिया है। यह भी पार्टी के तीन प्रमुख वादों का हिस्सा था। यह तीनों ऐसे मुद्दे हैं, इंडिया ब्लॉक की पार्टियों को जिनका सामना करना है।

इंडिया ब्लॉक की इस वजह से बढ़ी चुनौती जाहिर है कि जब 19 दिसंबर को नई दिल्ली में विपक्षी गठबंधन के 28 दल बैठेंगे तो उन्हें आंतरिक रणनीतियों के अलावा भाजपा से मिल रही इन चुनौतियों के लिए भी अपनी योजना तैयार करनी होगी। तथ्य ये है कि कम से कम आर्टिकल 370 पर अभी भी इंडिया की पार्टियों में मतभेद नजर आ रहा है और राम मंदिर को गठबंधन की कई पार्टियां दिल से स्वीकार नहीं पाई हैं।

जैसे कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना दोनों ही मुद्दों पर भाजपा की तरफ खड़ी नजर आ रही है, लेकिन कांग्रेस समेत अन्य दलों की स्थिति अजीब बन गई है। लेफ्ट पार्टियां तो आर्टिकल 370 पर नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी की तरफ ही नजर आ रही है। जबकि, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी को इस मसले पर ज्यादा मुंह खोलने से बचे रहने में ही भलाई दिख रही है। हालांकि, जब 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म किया गया था, तब AAP ने मोदी सरकार का समर्थन किया था। ऐसे में सवाल है कि इंडिया जबतक इन मुद्दों पर आपस में एक रुख नहीं अपनाएगा, उसमें शामिल तमाम विपक्षी दल भाजपा के आक्रामक प्रहारों का सामना कैसे कर पाएंगे।

कश्मीर फिर होगा भाजपा का बड़ा मुद्दा यह भी तय है कि कश्मीर एक बार फिर से लोकसभा चुनावों में भाजपा का बड़ा मसला होगा। यह सोमवार को संसद में गृहमंत्री अमित शाह से लेकर पार्टी के अन्य सांसदों के तेवरों से जाहिर हो चुका है। संभावना है कि इंडिया गठबंधन की अगली बैठक में इसमें शामिल पार्टियां जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा जल्द वापस देने और वहां विधानसभा चुनाव जल्द करवाने की मांग करके बीजेपी को जवाब देने की कोशिश कर सकती हैं।

इंडिया ब्लॉक ही थमा रहा है भाजपा को मुद्दे इसी तरह अगले महीने राम मंदिर का उद्घाटना होना है और भारतीय जनता पार्टी इसे लोकसभा चुनावों के औपचारिक ऐलान से पहले ही बड़ा अभियान बनाने जा रही है। इस तरह से विपक्ष के सामने ऐसी राजनीतिक परिस्थियां तैयार हो रही हैं, जिसका सामना करना आसान नहीं होगा। ऊपर से सहयोगी दलों की ओर से कुछ ना कुछ ऐसा कर दिया जाता है कि बीजेपी को एक्स्ट्रा माइलेज मिल जाता है।

डीएमके नेता पहले सनातन के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुके हैं। फिर, उत्तर-दक्षिण के बीच विवाद पैदा करने वाले बयान दे चुके हैं। अब जम्मू और कश्मीर पर ऐसा कह दिया है, जिसे हजम करना मुश्किल है। पार्टी के राज्यसभा सांसद मोहम्मद अब्दुल्ला ने द्रविड़ विचारक पेरियार का हवाला देते हुए सोमवार को सदन में कह दिया कि ‘प्रत्येक रेस के पास आत्मनिर्णय का अधिकार है।’ इसपर चेयरमैन जगदीप धनकड़ ने भी आपत्ति जताई और इसे सदन की कार्यवाही से बाहर कर दिया। पहले तो कांग्रेस ने अब्दुल्ला का बचाव किया, लेकिन बाद में कह दिया कि उसने पेरियार की लाइन का समर्थन नहीं किया है।

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