Raipur/नागपुर (27.07.2024) रायपुर के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुए पति – पत्नी के विवाद का निपटारा कुटुम्ब न्यायालय लोक अदालत नागपुर में हुआ।
[ अमर] (परिवर्तित नाम) जो रायपुर के बहुत ही प्रतिष्ठित परिवार से हैं, उनकी पत्नी आवेदिका [संध्या ] (परिवर्तित नाम) ने पति के विरुद्ध सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण पोषण का प्रकरण कुटुम्ब न्यायालय नागपुर में जुलाई 2023 में प्रस्तुत किया था जिसका प्रकरण क्रमांक E-367/2023 है।
संयुक्त परिवार में विवाद की वजह से उनकी पत्नी अप्रैल 2023 से अपने पति और दोनों बच्चों से अलग अपने मायके नागपुर में रह रही थी और मामला नागपुर कुटुम्ब न्यायालय पहुँच गया। न्यायालय से नोटिस मिलने के बाद उक्त प्रकरण में अनावेदक पति अपने रायपुर के अधिवक्ता भगवानू नायक के साथ कुटुम्ब न्यायालय नागपुर पहुँच कर अपना पक्ष रखे । दोनों पक्षों की सुनवाई के पश्चात् जनवरी 2024 में नागपुर कुटुम्ब न्यायालय में हुए समझौते के आधार पर अप्रैल 2024 से पति-पत्नी अपने दोनों बच्चों के साथ रायपुर में उनके नए एकल परिवार के निवास में रहने लगे और आज दिनांक 27 जुलाई को लोक अदालत नागपुर में प्रकरण समाप्त होकर पति पत्नी की आधिकारिक रूप से सुलह हो गयी और प्रकरण का निपटारा हो गया।
इस दौरान अधिवक्ता भगवानू नायक ने कहा कि घरेलू विवाद से परिवार को बचाना आज के समय में बड़ी चुनौती है। घरेलू विवाद का निपटारा घर, परिवार और समाज में नहीं होने से लोग आसानी से पुलिस थाने और न्यायालय में चले जाते है। ऐसे में भारतीय न्याय व्यवस्था में लोक अदालत दो पक्षों के मध्य सेतु का काम कर रही है। जहां न किसी की जीत होती है न हार बल्कि न्याय की जीत होती है।
चाहे मामला लड़ाई झगड़े का हो, लेन देन का हो, सम्पति का विवाद हो या फिर पारिवारिक विवाद हो लोक अदालत तेज़ी से विवाद को सुलझाने में बड़ी भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि कई बार छोटा छोटा घरेलू विवाद भी बड़ा रूप ले लेता है और लोग कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने को मजबूर हो जाते है। दोनों पक्षों के रुपए पैसे और समय की बर्बादी होती है, कई बार परिवारों का विघटन भी हो जाता है। लोक अदालत ऐसे परिवारों को जोड़ने का काम करती है और मामलों में सुलह कराती है। ऐसी स्थिति में अतीत के कड़वे अनुभवों से सीख लेकर दोनों पक्षों को अपने सुखमय दांपत्य जीवन की पुनर्स्थापना करते हुए जीवन की एक नई शुरुआत करनी चाहिए।
इस अवसर पर नागपुर लोक अदालत के पीठासीन अधिकारियों ने दोनों को आपस में ताल मेल बना कर आगे का जीवन सुखमय रूप से निर्वहन करने की सलाह दी।