Raipur, छत्तीसगढ़, पूर्ववर्ती सरकार द्वारा लागू भूमि आबँटन योजना को समाप्त करने के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के मुख्य प्रवक्ता अधिवक्ता भगवानू नायक ने कहा भूमि आबँटन योजना पर सरकार पुनर्विचार करें, भूमि आबँटन की प्रक्रिया में वर्षों से भूमि पट्टाधारियों को मालिकाना हक़ और सरकार को राजस्व मिल रहा था ।
विशेषकर वर्षों पहले से ही नजूल भूमि के स्थाई पट्टा धारण करने वाले व्यक्ति को वर्तमान गाइडलाइन दर की कुल क़ीमत का 2% राशि प्रदान करने पर उसे भूमि स्वामी हक प्राप्त हो जाता था । भूमि स्वामी हक प्राप्त होने के उपरांत उसे नजूल से संबंधित किसी भी कार्य के लिए अनावश्यक रूप से नजूल ऑफिस के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं थी बल्कि भूमि स्वामी हक प्रदान होने पर वह अपनी स्वामित्व की भूमि को किसी भी बैंक में मॉर्टगेज रखकर लोन प्राप्त करना चाहे या अन्य प्रकार के किसी कार्य करने के लिए स्वतंत्र था किंतु यह योजना रद्द होने से सबसे ज्यादा नुकसान आम जनों को होगा उसे लगातार नजूल ऑफिस के चक्कर काटने पड़ेंगे, छोटे-छोटे कार्यों के लिए उसे लगातार परेशान होना पड़ेगा और इससे भ्रष्टाचार भी लगातार बढ़ेगा क्योंकि नजूल भूमि के पट्टा नवीनीकरण की प्रक्रिया अत्यंत ही जटिल है जो आम जनों द्वारा निष्पादित किया जाना संभव नहीं है ।
इसके अतिरिक्त शासकीय भूमि के आवंटन से जो प्रक्रिया थी जिसमें वर्तमान गाइडलाइन दर का 152 प्रतिशत राशि भुगतान करने पर ही शासकीय भूमि का भूमि स्वामी हक आम जनों को उपलब्ध था । उन्होंने कहा इस योजना के बंद होने से सबसे ज्यादा नुकसान जो है वर्तमान अवस्था में आम जनों के साथ ही साथ सरकार को भी होगा जैसे कि यदि किसी भी व्यक्ति के घर से लगी कोई शासकीय भूमि जिसमें कई वर्षों से वह लगातार काबिज़ है और वैसे भी वह अपना कब्जा किसी व्यवस्था में छोड़ने की स्थिति में नहीं रहता है। ऐसी स्थिति में क़ाबिज़ भूमि का आवंटन उस व्यक्ति को हो जाने से कम से कम गाइडलाइन से ज्यादा राशि सरकार को प्राप्त हो रही थी और क़ब्ज़ाधारी को मालिकाना हक़ मिल रहा था ।
जहां तक इसलिए ही यह योजना लायी गयी थी वर्तमान में सरकार के पास शासकीय भूमि के किसी प्रकार से खाली करने की योजना तो नहीं है लेकिन शासकीय भूमि के आबंटन रद्द करने से सरकार को नुकसान जरूर होगा । उन्होंने कहा किसी भी योजना को बंद करने की पूर्व सरकार के पास एक स्पष्ट दिशा निर्देश जरूर होना चाहिए कि वह इस प्रकार की योजनाओं को जो आम जनों से जुड़ी हुई है आगे कैसे संचालित करेगी इसलिए भूमि आबँटन योजना पर सरकार को पुनर्विचार करनी चाहिए