तेलंगाना के Medaram Temple में आयोजित होने वाले आदिवासी धार्मिक मेले के लिए खराब बुनियादी ढांचा बना अभिशाप
तेलंगाना: (Medaram Temple) तेलंगाना का ऐतिहासिक ‘सम्मक्का सरलम्मा जतारा’ आदिवासी उत्सव, हजारों भक्तों की भागीदारी के साथ तेलंगाना के मुलुगु जिले के मेदाराम गांव में हर साल फरवरी महीने में आयोजित किया जाता है। इस बार ये उत्सव 21 से 24 फरवरी के बीच आयोजित किया जा रहा है l
Medaram Temple तेलंगाना में कोया जनजाति द्वारा आयोजित “सम्मक्का सरलम्मा जतारा” पूरे एशिया में सबसे बड़े आदिवासी त्योहार के रूप में जाना जाता है। ‘मेदाराम जतारा’ के दौरान, आदिवासी भक्त मेदाराम में देवी सम्मक्का और उनकी बेटी सरलम्मा की पूजा करते हैं, जो एक वन क्षेत्र में स्थित है। इस उत्सव से महीने भर पहले से ही लोग आना शुरू कर देते हैं, जिससे मंदिर आध्यात्मिक गतिविधि का केंद्र बन जाता है लेकिन इस क्षेत्र का खराब बुनियादी ढांचा मेदाराम मंदिर उत्सव के लिए अभिशाप बना हुआ है l
बता दें मुलुगु जिले के मेदाराम गांव के तडवई मंडल में आयोजित इस प्राचीन उत्सव की देखरेख विशेष रूप से मंदिर के वंशजों द्वारा की जाती है। इसके अलावा बंदोबस्ती विभाग तीर्थयात्रियों की सुखद तीर्थ यात्रा के लिए बुनियादी ढांचे और यात्रा संबंधी प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालता है।
गौरतलब है कि जहां पर ये उत्सव आदिवासी उत्सव अयोजित किया जाता है वो क्षेत्र 2023 में भारी वर्षा से काफी प्रभावित हुआ था, जिसमें कई लोग हताहत भी हुए थे। सड़कों की मरम्मत, जम्पन्ना वागु (धारा) पर निर्माण कार्य और भक्तों के लिए परिसरों में इस उत्सव के लिए प्रबंध अधिकारी कैसे कर रहे हैं इसको जानने के लिए साउथ फर्स्ट ने पड़ताल की, जिसमें यहां की असलियत सामने आई।
वहीं यहां के एक दुकानदार ने बताया कि 2023 ने ग्रामीणों के लिए वित्तीय संघर्ष खड़ा कर दिया क्योंकि जम्पन्ना धारा के अतिप्रवाह के कारण हमारी दुकानों में सब कुछ बह गया था। उन्होंने सवाल किया सरकार हमारे लिए कितना पैसा जारी करेगी? यह पर्याप्त नहीं होगा क्योंकि लोग मर गये हैं। स्थिति दयनीय थी। उन्होंने बताया केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीपीआरएफ) के अधिकारियों ने हमारे गांव में लोगों को बचाया। उन्होंने कहा हमारा अनुरोध है कि सरकार केवल त्योहारों या चुनावों के दौरान ही नहीं, बल्कि जिले के विकास के लिए काम करे। यहां के लोगों ने भक्तों के रहने के बारे में चिंता व्यक्त की है।
उन्होंने कमरे की बुकिंग के लिए एक मंच की स्थापना का आग्रह किया है, क्योंकि हरिथा होटल और मंदिर देवताओं के नाम पर कुछ ब्लॉक जैसे मौजूदा विकल्प अनुपयोगी नहीं हैं। एक भक्त ने बताया ज्यादातर लोग तंबू का सहारा लेते हैं और जतरा नजदीक आते ही साफ-सफाई का अभाव हो जाता है। क्षेत्र कूड़ा-करकट और गंदा हो जाता है। इसके साथ स्थानीय लोगों ने मेदाराम संग्रहालय पर भी ध्यान देने की आवश्यकता की बात कही जिसमें मुलुगु जिले की जनजातियों का इतिहास है लेकिन धन के अभाव में इसकी सही देखभाल नहीं हो पा रही है l